केसा होगा आपकी वाणी पर ग्रहों का असर/प्रभाव-



जब कोई "ग्रह वाणी भाव में अकेला" बैठा हो तो उसका वाणी पर क्या असर होगा ??
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो हमारा स्वभाव, हमारी रंगत, हमारी चाल-ढाल और यहां तक कि हमारे बोलने का तरीका भी सौरमंडल के ग्रहों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। किसी व्यक्ति की वाणी मीठी है, तीखी है या वह ऊंची-नीची आवाज में बात करता है, यह सब उसकी जन्म पत्रिका के ग्रहों पर आधारित है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति की कुंडली के लग्न भाव को देखते हुए उसकी वाणी पर किस ग्रह का असर है, यह पता लगाया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति के लग्न भाव में सूर्य शुभ हो तो ऐसा व्यक्ति कम बोलने वाला और समझदार होता है, लेकिन अगर यही ग्रह अशुभ हो तो व्यक्ति अत्यधिक बोलने वाला होता है।
ध्यान रखें यह केवल एक सामान्य धारणा/नियम है अतः यहाँ हम द्रष्टि/नक्षत्र/राशि या युति का विचार नही करेगे।
यदि वाणी भाव में सूर्य हो तो जातक की वाणी तेजस्वी होगी।वाणी आदेशात्मक ज्यादा होगी।गलत बात होने पर जातक जोरदार आवाज से प्रतिक्रिया देगा।लेकिन अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के प्रथम भाव में कोई ग्रह न
हो यानि की किसी भी ग्रह की अनुपस्थिति हो तो ऐसे में जिस ग्रह की दृष्टि लग्न भाव पर पड़ रही हो, उसी का असर
व्यक्ति की वाणी पर आता है।
यदि वाणी भाव में चंद्र हो तो जातक की वाणी शालीन होगी।जातक बहुत धीरे और कम शब्दों में अपनी राय रखेगा।जातक की मधुर वाणी की दुनिया कायल होगी।जातक बात रखने से पहले आज्ञा माँगेगा। जातक की कुंडली में अगर लग्न भाव में चंद्र शुभ हो तो जातक मीठा बोलने वाला, किंतु वहीं दूसरी ओर अशुभ चंद्रमा की स्थिति उसे
कड़वा बोलने वाला व्यक्ति बनाती है।
यदि वाणी भाव में मंगल हो तो जातक की वाणी उग्र और तेज होगी। जातक की बात पड़ोसियों के कान तक पहुँच जायेगी।गुस्सा आने पर जातक गाली-गलौच में कभी निःसंकोच नही करेगा।जातक चिल्लाने और शौर मचाने में माहिर होगा। यदि लग्न भाव में मंगल की मजबूती हो तो ऐसा व्यक्ति तीखा बोलता है साथ ही उसकी व्यवहार में अत्यधिक गुस्सा भी देखने को मिल सकता है। लेकिन अगर यही ग्रह अशुभ है,
तब भी व्यक्ति तीखा बोलने वाला ही हो सकता है। मंगल एक ऐसा ग्रह है जो जातक के जिस
भी भाव में होगा, उस भाव को उग्र बना देता है।
यदि वाणी भाव में बुध हो तो जातक बेवजह बातूनी होगा।मुफ्त की राय देना जातक का शौक का शौक
होगा।चूंकि अकेला बैठा बुध कभी शुभकर्तरी में नही होता,यदि बुध पापकर्तरी में हुआ तो जातक चुगलखोर
होगा।अब अगर लग्न भाव में बुध (शुभ या अशुभ दोनों ही) विराजमान हैं तो ऐसा व्यक्ति ओजस्वी होता है।
इसी तरह से अगर लग्न भाव में गुरु है तो ऐसा व्यक्ति शालीन बोलने वाला होता है।
यदि वाणी भाव में गुरु है तो जातक की वाणी सकारात्मक होगी जातक उपदेशक की तरह अपनी बात को विस्तारपूर्वक  कहता है जैसे -“मतलब/अर्थात/Means/ यह हैं कि”
ये उसकी बातो में ज्यादा प्रयोग होता है।
ऐसा जातक पुरुष से तीव्र और स्त्रियों से मधुर वाणी में बात करने वाला होता है।
यदि वाणी भाव में शुक्र हो तो जातक की वाणी अत्यंत विनम्र होगी।जातक कवि,गायक भी हो/बन सकता है।वाणी में प्यार और आनंद की मिठास होगी।जातक की बाते रोमांटिक होती है। लग्न भाव में शुक्र ग्रह के शुभ होने से व्यक्ति चतुर भाषी होता है लेकिन अगर यही ग्रह अशुभ स्थिति में है तो
ऐसा व्यक्ति चतुर तो होता ही किंतु शुक्र के अशुभ प्रभाव से झूठ बोलने वाला होता है।
यदि वाणी भाव में शनि हुआ तो जातक की वाणी बहुत संतुलित और संयमित होगी। शब्दों की मर्यादा का
उल्लंघन बहुत कम या ना के बराबर।जातक हमेशा “शासन कर रही सरकार” का वाणी से विरोध करेगा।लग्न में शनि ग्रह का शुभ या अशुभ होना जातक ओ कड़वी वाणी प्रदान करता है। राहु लग्र में हो तो व्यक्ति असभ्य भाषा का प्रयोग करने वाला होता है। तीसरा पापी ग्रह केतु अगर लग्न में बैठा है तो ऐसा व्यक्ति मृदुभाषी होता है।

यदि वाणी भाव में राहू हुआ तो जातक गप्पे मारने वाला,बेवजह बहस करने वाला होगा।जातक के मुँह से हमेशा
गाली/अपशब्द निकलेगे। वाणी नकारात्मक होगी।सीटी बजाना जातक का शौक हो सकता है।
यदि वाणी भाव में केतु हो तो जातक मुँहफट होगा।
यदि केतु शुभकर्तरी योग में हो तो जातक जो भी कहेगा उसकी 70% बाते/भविष्यवाणी सही होगी.. और यदि केतु पापकर्तरी में हो तो जातक हमेशा “हाय देने वाला” और “कडवी जुबान” रहेगा साथ ही उसकी बाते 70% सच साबित होगी।

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